/ Apr 19, 2025
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रायपुर। पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग द्वारा पहली बार ऑटोप्सी (पोस्टमार्टम) के विशिष्ट एवं जटिल मेडिको लीगल केस पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नागेन्द्र सोनवानी द्वारा किये गये ऑटोप्सी के ऐसे प्रकरणों को शामिल किया गया है जिनमें मृत्यु का तरीका और कारण अनसुलझा एवं बेहद अलग किस्म का था। प्रदर्शनी में होमिसाइड (मानवहत्या), सुसाइड (आत्महत्या) और फिलीसाइड (द्वैध आत्महत्याएं) जैसे मृत्यु के अलग-अलग तरीकों को क्राइम सीन (घटनास्थल) के विवरण के साथ प्रदर्शित किया गया है। फोरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. स्निग्धा जैन के अनुसार, इस प्रदर्शनी का उद्देश्य चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों को फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के अंतर्गत किये जाने वाले मेडिको लीगल पोस्टमार्टम के विभिन्न पहलूओं के बारे में गहराई से जानकारी देना है।
ऑटोप्सी फोटो प्रदर्शनी का उदघाटन पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल, फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित त्रिपाठी, ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. रविकांत दास, फोरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. स्निग्धा जैन, डॉ. राबिया परवीन सिद्दीकी एवं डॉ. जागृति अग्रवाल की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में एम. बी. बी. एस. चिकित्सा छात्रों के बीच विगत दिनों महाविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधि जिज्ञासा के अंतर्गत हुए “ऑटोप्सी एंड डिसेक्शन” प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम की सराहना करते हुए मुख्य अतिथि डॉक्टर अरविंद नेरल ने कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक गतिविधियों से विद्यार्थियों को काफी कुछ सीखने में मदद मिलती है तथा कई जटिल केसों को भी इन उदाहरणों की सहायता से सुलझाने में मदद मिलती है।
प्रदर्शनी के मुख्य आयोजनकर्ता डॉ. नागेन्द्र सोनवानी के अनुसार, फोरेंसिक मेडिसिन चिकित्सा-कानूनी से जुड़े मामलों की जांच एवं मानव मृत्यु के कारणों की जांच में अहम भूमिका निभाता है। यह किसी भी मौत या उसके विकृति के कारण पता लगाने के लिए नैदानिक पोस्टमार्टम करने में मदद करता है। हमारे विभाग में ऑटोप्सी के लिए कई ऐसे केस भी आए थे जिनमें प्रथम दृष्टया, मृतक के मौत का कारण सामान्य मृत्यु लग रहा था परंतु पोस्टमार्टम एवं घटनास्थल से मिले सूक्ष्म साक्ष्यों की मदद से बाद में कानूनी तौर पर यह साबित हुआ कि मृतक की हत्या हुई थी। प्रदर्शनी में गुढ़ियारी क्षेत्र के उस चर्चित केस का जिक्र भी किया गया है जिसमें मृतक के नाखून में फंसे टिश्यू ने मौत का राज खोला था। इस केस के माध्यम से कानून एवं पुलिस की उस महत्ता का प्रतिपादन किया गया है जिसमें कहा गया है कि अपराधी कितना भी शातिर हो, कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ जाता है। प्रदर्शनी में 20 से भी अधिक एम. एल. सी. केस, छायाचित्र समेत सम्पूर्ण केस हिस्ट्री के साथ प्रदर्शित की गई है।
रायपुर। पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग द्वारा पहली बार ऑटोप्सी (पोस्टमार्टम) के विशिष्ट एवं जटिल मेडिको लीगल केस पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नागेन्द्र सोनवानी द्वारा किये गये ऑटोप्सी के ऐसे प्रकरणों को शामिल किया गया है जिनमें मृत्यु का तरीका और कारण अनसुलझा एवं बेहद अलग किस्म का था। प्रदर्शनी में होमिसाइड (मानवहत्या), सुसाइड (आत्महत्या) और फिलीसाइड (द्वैध आत्महत्याएं) जैसे मृत्यु के अलग-अलग तरीकों को क्राइम सीन (घटनास्थल) के विवरण के साथ प्रदर्शित किया गया है। फोरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. स्निग्धा जैन के अनुसार, इस प्रदर्शनी का उद्देश्य चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों को फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के अंतर्गत किये जाने वाले मेडिको लीगल पोस्टमार्टम के विभिन्न पहलूओं के बारे में गहराई से जानकारी देना है।
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