/ Jul 18, 2025
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00 कुलदेवता पूजन, अभिषेक और गणेश पूजा पर हुई महाराष्ट्र मंडल में हुई कार्यशाला
रायपुर। बच्चों में संस्कार मां से आते है, इसलिए आज के परिवेश में यह बेहद जरूरी है कि घर में महिलाओं को पूजा पाठ की सही विधि और तरीके पता होने चाहिए। आपकी पूजा विधि बिल्कुल सही होगी, तो बच्चों में आपके संस्कार खुद- ब- खुद आ जाएंगे। महाराष्ट्र मंडल के सचिव आचार्य चेतन गोविंद दंडवते ने महाराष्ट्र मंडल में कुलदेवता पूजन, अभिषेक और गणेश पूजा पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन अवंती विहार, शंकर नगर और देवेंद्र नगर महिला केंद्र की ओर से किया गया। इसमें महाराष्ट्र मंडल के सभी 16 केंद्रों की महिलाएं शामिल हुईं।
आचार्य दंडवते ने बताया कि जो लोग घर पर श्री सुक्त, अथर्व शीर्ष, विष्णु सुक्त, पुरुष सुक्त का पाठ करते हैं, वो सभी संपूर्ण पूजा विधि का बड़े ही अच्छे ढंग से संपन्न करा सकते हैं। पूजा में बैठने के साथ सर्वप्रथम हमको आचमन करना होता है। प्राणायाम, संकल्प, पृथ्वी पूजा, कलश पूजा, शंख और घंटी की पूजा के बाद जिस देवता की आप पूजा कर रहे, उनकी पूजा करनी है।
उन्होंने आगे कहा कि पूजा दो प्रकार की होती है, पहली पंचोपचार पूजा और दूसरी षोडषोपचार पूजा। पंचोपचार पूजा में धूप, दीप, फूल, गंध और नैवेद्य की आवश्यकता होती है। इसके लिए आचार्य की आवश्यकता नहीं है। षोडषोपचार पूजा के लिए आचार्य आवश्यक है। षोडषोपचार पूजा के लिए आपको आचमन, प्राणायाम, संकल्प आवश्यक है।
दंडवते ने बताया कि पूजा के मंत्रोच्चार मैंने आपको उपलब्ध कराए है। संकल्प का साधारण मंत्र है। सिर्फ हमें तिथि, दिन, पहर का विशेष ध्यान रखना है। इसका ध्यान होने से किसी भी संकल्प को किया जा सकता है। इस तरीके से किसी भी देवता की पूजा की जा सकती है। बशर्ते संकल्प में उस प्रधान देवता का नाम उच्चारण हो। इस बीच आचार्य दंडवते ने बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं की शंकाओं से समाधान किया। एक सवाल के जवाब में चेतन ने कहा कि महिलाएं प्रत्येक पूजा कर सकती हैं और करवा भी सकती हैं, बशर्तें उनका आचरण और सारे नियम शुद्ध हो। इसी तरह महिलाएं स्नान- ध्यान के बाद सभी प्रकार के मंत्रोच्चार कर सकती हैं।
इस मौके पर सभी महिलाओं ने आचार्य दंडवते की 54वीं वर्षगांठ उनकी आरती उतारते हुए धूमधाम से मनाई। कार्यक्रम की शुरुआत सभी महिलाओं ने रामरक्षा स्त्रोत और हनुमान चालीसा का साप्ताहिक पाठ किया। मंडल की आध्यात्मिक समिति की ओर से इस अभियान को एक मार्च 2025 को 61 सप्ताह पूरे हो गए हैं। महिला केंद्रों में इस अभियान को लेकर अभी भी उनता ही जोश है जितना अभियान की शुरुआत में था।
00 कुलदेवता पूजन, अभिषेक और गणेश पूजा पर हुई महाराष्ट्र मंडल में हुई कार्यशाला
रायपुर। बच्चों में संस्कार मां से आते है, इसलिए आज के परिवेश में यह बेहद जरूरी है कि घर में महिलाओं को पूजा पाठ की सही विधि और तरीके पता होने चाहिए। आपकी पूजा विधि बिल्कुल सही होगी, तो बच्चों में आपके संस्कार खुद- ब- खुद आ जाएंगे। महाराष्ट्र मंडल के सचिव आचार्य चेतन गोविंद दंडवते ने महाराष्ट्र मंडल में कुलदेवता पूजन, अभिषेक और गणेश पूजा पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन अवंती विहार, शंकर नगर और देवेंद्र नगर महिला केंद्र की ओर से किया गया। इसमें महाराष्ट्र मंडल के सभी 16 केंद्रों की महिलाएं शामिल हुईं।
आचार्य दंडवते ने बताया कि जो लोग घर पर श्री सुक्त, अथर्व शीर्ष, विष्णु सुक्त, पुरुष सुक्त का पाठ करते हैं, वो सभी संपूर्ण पूजा विधि का बड़े ही अच्छे ढंग से संपन्न करा सकते हैं। पूजा में बैठने के साथ सर्वप्रथम हमको आचमन करना होता है। प्राणायाम, संकल्प, पृथ्वी पूजा, कलश पूजा, शंख और घंटी की पूजा के बाद जिस देवता की आप पूजा कर रहे, उनकी पूजा करनी है।
उन्होंने आगे कहा कि पूजा दो प्रकार की होती है, पहली पंचोपचार पूजा और दूसरी षोडषोपचार पूजा। पंचोपचार पूजा में धूप, दीप, फूल, गंध और नैवेद्य की आवश्यकता होती है। इसके लिए आचार्य की आवश्यकता नहीं है। षोडषोपचार पूजा के लिए आचार्य आवश्यक है। षोडषोपचार पूजा के लिए आपको आचमन, प्राणायाम, संकल्प आवश्यक है।
दंडवते ने बताया कि पूजा के मंत्रोच्चार मैंने आपको उपलब्ध कराए है। संकल्प का साधारण मंत्र है। सिर्फ हमें तिथि, दिन, पहर का विशेष ध्यान रखना है। इसका ध्यान होने से किसी भी संकल्प को किया जा सकता है। इस तरीके से किसी भी देवता की पूजा की जा सकती है। बशर्ते संकल्प में उस प्रधान देवता का नाम उच्चारण हो। इस बीच आचार्य दंडवते ने बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं की शंकाओं से समाधान किया। एक सवाल के जवाब में चेतन ने कहा कि महिलाएं प्रत्येक पूजा कर सकती हैं और करवा भी सकती हैं, बशर्तें उनका आचरण और सारे नियम शुद्ध हो। इसी तरह महिलाएं स्नान- ध्यान के बाद सभी प्रकार के मंत्रोच्चार कर सकती हैं।
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