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एएचपीआई की पहल पर सीईसीबी ने अस्पतालों को प्राधिकार प्राप्त करने की समय सीमा बढ़ाई

रायपुर। एसोसिएशन ऑ$फ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) की पहल पर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (सीईसीबी) ने अस्पतालों को जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत प्राधिकार प्राप्त करने अथवा नवनीकरण करवाने की समय सीमा 30 जून 2025 तक बढ़ा दी है। वर्तमान में वैद्यता समय सीमा समाप्त हो चुके प्राधिकार भी 30 जून 2025 तक वैध माने जाएंगे।
केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के आदेशानुसार बिना उक्त प्राधिकार के अस्पताल का संचालन करने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति अधिरोपित करने का प्रावधान है। इसके तहत पूर्व में सीईसीबी ने सभी अस्पतालों को 31 दिसंबर 2023 तक प्राधिकार प्राप्त करने के निर्देश दिए थे। किन्हीं कारणवश कुछ अस्पतालों द्वारा उक्त अवधि में यह प्राधिकरण प्राप्त अथवा नवीनीकरण नहीं हो पाया था जिस वजह से उन अस्पतालों पर भारी भरकम क्षतिपूर्ति लगायी जा रही थी। इस सन्दर्भ में एएचपीआई द्वारा सीईसीबी के समक्ष लगातार निजी अस्पतालों का पक्ष रख कर इस समय सीमा को बढ़ाये जाने का अनुरोध किया था। इस संबंध में सचिव स्वास्थ्य द्वारा 2022 की मीटिंग में पहले ही सहमति बन चुकी थी लेकिन विधिवत आदेश जारी नहीं हुआ था।
एएचपीआई के लगातार प्रयासों के फलस्वरूप सीईसीबी ने जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत प्राधिकार प्राप्त करने अथवा नवीनीकरण करवाने की समय सीमा 30 जून 2025 कर दी है। उक्त समय सीमा के बाद बिना वैध प्राधिकार के अस्पताल का संचालन करने पर अस्पतालों को पर्यावरण क्षतिपूर्ति देनी होगी।
एएचपीआई छत्तीसगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओ.पी. चौधरी समेत छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारीयों का धन्यवाद देते हुए सभी अस्पतालों से अपील की है कि वे 30 जून 2025 से पहले जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत प्राधिकार प्राप्त कर लें जिससे क्षतिपूर्ति की कार्यवाही से बचा जा सके।

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केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के आदेशानुसार बिना उक्त प्राधिकार के अस्पताल का संचालन करने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति अधिरोपित करने का प्रावधान है। इसके तहत पूर्व में सीईसीबी ने सभी अस्पतालों को 31 दिसंबर 2023 तक प्राधिकार प्राप्त करने के निर्देश दिए थे। किन्हीं कारणवश कुछ अस्पतालों द्वारा उक्त अवधि में यह प्राधिकरण प्राप्त अथवा नवीनीकरण नहीं हो पाया था जिस वजह से उन अस्पतालों पर भारी भरकम क्षतिपूर्ति लगायी जा रही थी। इस सन्दर्भ में एएचपीआई द्वारा सीईसीबी के समक्ष लगातार निजी अस्पतालों का पक्ष रख कर इस समय सीमा को बढ़ाये जाने का अनुरोध किया था। इस संबंध में सचिव स्वास्थ्य द्वारा 2022 की मीटिंग में पहले ही सहमति बन चुकी थी लेकिन विधिवत आदेश जारी नहीं हुआ था।
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rahul choubey

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