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सिम्स से हटाए गए संविदा कर्मियों की याचिका खारिज

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS) में संविदा पर कर्मियों ओटी टेक्नीशियन, एनेस्थीसिया टेक्नीशियन, सफाईकर्मी, वार्ड बॉय और रसोइयों की सेवा समाप्ति के खिलाफ दायर की गई याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं। न्यायमूर्ति रजनी दुबे की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि यदि नियुक्ति प्रक्रिया के तहत न हो, तो नियमितीकरण का दावा नहीं किया जा सकता।
सिम्स बिलासपुर में यदुनंदन पोर्चे, जगदीश मुखी, सुनील सिंह, अनिल श्रीवास्तव समेत कुल 23 लोगों की संविदा पर नियुक्ति वर्ष 1996, 2001, 2002, 2003, 2005 और 2008 में की गई थी। एक जून 2015 को डीन द्वारा सभी संविदा कर्मचारियों को नोटिस जारी कर 30 जून 2015 से सेवा समाप्ति की सूचना दी गई। इसके बाद 15 जून 2015 को नए संविदा पदों के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया, जिनमें वे पद भी शामिल थे जिनसे याचिकाकर्ताओं को हटाया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि 7 जून 2012 को रायपुर में हुई बैठक में यह निर्णय हुआ था कि पांच वर्ष से अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मचारियों की सेवाएं नियमितीकरण तक जारी रहेंगी। डीन ने भी 5 अप्रैल 2011 को इस निर्णय पर सहमति दी थी, इसके बावजूद 1 जून 2015 को सेवा समाप्ति का आदेश जारी हुआ।याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पुराने संविदा कर्मचारियों को हटाकर नए संविदा कर्मचारी नियुक्त करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।
उन्होंने यह भी कहा कि 2012 के संविदा नियमों में अधिकतम पांच वर्षों की सीमा का कोई उल्लेख नहीं है। 17 जनवरी 2014 को सामान्य प्रशासन विभाग ने भी स्पष्ट किया था कि संविदा और दैनिक वेतनभोगियों को सीधी भर्ती का लाभ मिलेगा, इसके बावजूद नया विज्ञापन निकाला गया।
31 मार्च 2015 को संविदा नियमों में संशोधन कर गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर सेवा विस्तार का प्रावधान जोड़ा गया था। याचिकाकर्ताओं का प्रदर्शन हमेशा अच्छा रहा, फिर भी उन्हें हटा दिया गया।
राज्य सरकार ने बताया कि सेवा समाप्ति से पहले एक महीने का नोटिस दिया गया था। विवादित विज्ञापन को तकनीकी कारणों से पहले ही रद्द किया जा चुका है और इसकी सूचना अखबारों में प्रकाशित की गई थी।
3 मई 2023 को राज्य सरकार ने तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों को स्थायी रूप से भरने का निर्णय लिया। इसके तहत 10 मई 2023 को सभी संस्थानों से रिक्त पदों की जानकारी मांगी गई थी, जिस पर सिम्स बिलासपुर ने 23 मई 2023 को विज्ञापन सहित पदों की सूची भेजी। हाईकोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता सीमित अवधि के लिए संविदा पर नियुक्त किए गए थे और सेवा समाप्ति से पहले नोटिस दी गई थी। साथ ही विवादित विज्ञापन पहले ही रद्द किया जा चुका है। अतः याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं दी जा सकती।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS) में संविदा पर कर्मियों ओटी टेक्नीशियन, एनेस्थीसिया टेक्नीशियन, सफाईकर्मी, वार्ड बॉय और रसोइयों की सेवा समाप्ति के खिलाफ दायर की गई याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं। न्यायमूर्ति रजनी दुबे की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि यदि नियुक्ति प्रक्रिया के तहत न हो, तो नियमितीकरण का दावा नहीं किया जा सकता।
सिम्स बिलासपुर में यदुनंदन पोर्चे, जगदीश मुखी, सुनील सिंह, अनिल श्रीवास्तव समेत कुल 23 लोगों की संविदा पर नियुक्ति वर्ष 1996, 2001, 2002, 2003, 2005 और 2008 में की गई थी। एक जून 2015 को डीन द्वारा सभी संविदा कर्मचारियों को नोटिस जारी कर 30 जून 2015 से सेवा समाप्ति की सूचना दी गई। इसके बाद 15 जून 2015 को नए संविदा पदों के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया, जिनमें वे पद भी शामिल थे जिनसे याचिकाकर्ताओं को हटाया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि 7 जून 2012 को रायपुर में हुई बैठक में यह निर्णय हुआ था कि पांच वर्ष से अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मचारियों की सेवाएं नियमितीकरण तक जारी रहेंगी। डीन ने भी 5 अप्रैल 2011 को इस निर्णय पर सहमति दी थी, इसके बावजूद 1 जून 2015 को सेवा समाप्ति का आदेश जारी हुआ।याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पुराने संविदा कर्मचारियों को हटाकर नए संविदा कर्मचारी नियुक्त करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।
उन्होंने यह भी कहा कि 2012 के संविदा नियमों में अधिकतम पांच वर्षों की सीमा का कोई उल्लेख नहीं है। 17 जनवरी 2014 को सामान्य प्रशासन विभाग ने भी स्पष्ट किया था कि संविदा और दैनिक वेतनभोगियों को सीधी भर्ती का लाभ मिलेगा, इसके बावजूद नया विज्ञापन निकाला गया।
31 मार्च 2015 को संविदा नियमों में संशोधन कर गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर सेवा विस्तार का प्रावधान जोड़ा गया था। याचिकाकर्ताओं का प्रदर्शन हमेशा अच्छा रहा, फिर भी उन्हें हटा दिया गया।
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rahul choubey

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