/ Jul 30, 2025
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वाराणसी। परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज द्वारा देश के अन्य शंकराचार्यों एवं अनेक गोप्रेमी संगठनों का साथ लेकर गौमाता के प्राणों की रक्षा व उनको राष्ट्रमाता घोषित कराने हेतु चलाए जा रहे गौमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आंदोलन को देश विदेश में बसा सिंधी समाज तन-मन-धन से साथ देगा। यह संकल्प परम धर्म संसद १००८ के केन्द्रीय कार्यालय श्रीविद्यामठ, वाराणसी में मसन्द सेवाश्रम रायपुर छत्तीसगढ़ के पीठाधीश एवं परम धर्म संसद १००८ के संगठन मंत्री, सिंधी समाज के विख्यात संत साईं जलकुमार मसंद की अध्यक्षता में आयोजित शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज द्वारा देश विदेश में बसे सिंधी समाज के गो प्रतिष्ठा अभियान से जुड़ने सम्बंधी पुस्तिका के किये गये विमोचन के कार्यक्रम में उभर कर सामने आया।
पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज ने बताया कि मसंद सेवाश्रम रायपुर के पीठाधीश, जिन्हें हाल ही में प्रयागराज में संपन्न महाकुंभ के दौरान हमारी संस्था परम धर्म संसद 1008 का संगठन मंत्री नियुक्त किया गया है, ने वर्ष 2012 से 2015 के मध्य देश के सभी शंकराचार्यों, संतों के सभी 13 अखाड़ों के प्रमुख महंतों, उनके द्वारा सुझाए गए लगभग 130 पदाधिकारियों महामंडलेश्वरों, गायत्री परिवार, आर्य समाज आदि अनेक प्रसिद्ध धार्मिक संगठनों के प्रमुखों तथा अनेक अन्य महान संतों के साथ बैठकें कर तिथियां तय की थीं तथा बैठकें की थीं। उन्होंने देश में सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित धर्म का राज स्थापित कर भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की अपनी कार्ययोजना से हम सभी को अवगत कराया था। उनका यह प्रयास देश में सनातन धर्म के राज, जिसे हिंदू राष्ट्र भी कहा जा सकता है की आवश्यकता का वातावरण बनाने में बहुत सहायक हुआ।
कार्यक्रम में वाराणसी की सेन्ट्रल सिंधी पंचायत, अनेक मुहल्ला सिंधी पंचायतों, धार्मिक व सामाजिक संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी व अन्य गणमान्य नागरिकों के साथ साथ शंकराचार्य महाराज से जुड़े विभिन्न संगठनों के भी प्रमुख लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। शंकराचार्य महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अलग अलग मंदिरों में अलग अलग देवी देवताओं के विग्रह प्रतिष्ठित हैं लेकिन किसी भी मंदिर में 33 कोटि देवी देवता प्रतिष्ठित नही हैं। लेकिन हमारे पूर्वजों ने गौमाता में 33 कोटि देवी देवताओं की प्रतिष्ठा की। इसलिए आज भी हमारे घरों में पहली रोटी गाय को समर्पित कर यह माना जाता है कि 33 कोटि देवी देवताओं को भोग लग गया। उन्होंने कहा कि हमें देशी नस्ल के गायों की पहचान कर भावी पीढ़ी हेतु उनकी रक्षा करनी होगी। गौमाता को राष्ट्रमाता रूप में प्रतिष्ठित कराने के बाद उनकी स्थिति में अंतर आएगा।
आयोजन की अध्यक्षता करते हुए पूज्य साईं जलकुमार मसन्द ने कहा कि हम जब शंकराचार्य महाराज को और उनके द्वारा किए जा रहे धर्मकार्यों को देखते हैं तो लगता है कि ईश्वर ने शंकराचार्य महाराज को अपने प्रतिनिधि के रूप में हम सबके मध्य भेजा है। पूज्य महाराज द्वारा धर्म रक्षा हेतु अनेक कार्यों के साथ गौमाता के प्राणों की रक्षा हेतु चलाए जा रहे आंदोलन से यह बात स्वयं सिद्ध भी हो जाती है। उन्होंने कहा कि गो प्रतिष्ठा अभियान भारत में सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित धर्म के शासन की स्थापना का आधार बनेगा और इससे भारत के पुनः विश्वगुरु बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। अत: आज हम सिंधी समाज के सभी जिम्मेदार लोग संकल्पपूर्वक शंकराचार्य के गौरक्षा आंदोलन के प्रति स्वयं को समर्पित कर रहे हैं और शंकराचार्य के धर्मकार्यों में तन-मन-धन से अपनी सहभागिता सदैव सुनिश्चित करेंगे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अनिरुद्ध मिश्रा ने वैदिक मंगलाचरण और कृष्ण कुमार द्विवेदी ने पौराणिक मंगलाचरण का वाचन किया। प्रकाश पाण्डेय ने “नैया फंसी भंवर में सूझे नही किनारा गुरुवर तेरा सहारा”भजन सुनकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अतिथियों का स्वागत व आभार अभिभाषण शंकराचार्य महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से साध्वी पूर्णाम्बा दीदी, ब्रम्ह्चारी परमात्मानंद, सेंट्रल सिंधी पंचायत के अध्यक्ष मुखी हासानंद बदलानी, अशोक नगर सिंधी पंचायत के अध्यक्ष देवेंद्र डोडवानी, कुमार सचदेवा उपाध्यक्ष आलिवाण पंचायत, अशोक खट्टर अध्यक्ष सिंधी पंजाबी पंचायत, सतीश छाबड़ा अध्यक्ष भारतीय सिंधु सभा एवं सचिव लक्सा सिंधी पंचायत, दिलीप ईसरानी अध्यक्ष संत बीरबल दास सेवा समिति, सुरेश वाद्यया उपाध्यक्ष भारतीय सिंधु सभा, जय लालवानी अध्यक्ष संत कंवर राम युवा समिति, सुनील वाद्यया उपाध्यक्ष संत असुदाराम सेवा समिति, जय प्रकाश बालानी कोषाध्यक्ष रेड क्रास सोसाइटी, कमल लखमानी उपाध्यक्ष रामापुरा पंचायत, झूलेलाल भक्त सेवा समिति महिला मंडल की पदाधिकारीगण श्रीमती जया रत्नानी, अमृता अठवानी, मोनिका अठवानी, सोनी लखमानी एवं डॉ यतीन्द्रनाथ चतुर्वेदी, कृष्ण कुमार पाठक, सोमेश्वर मिश्रा आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
वाराणसी। परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज द्वारा देश के अन्य शंकराचार्यों एवं अनेक गोप्रेमी संगठनों का साथ लेकर गौमाता के प्राणों की रक्षा व उनको राष्ट्रमाता घोषित कराने हेतु चलाए जा रहे गौमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आंदोलन को देश विदेश में बसा सिंधी समाज तन-मन-धन से साथ देगा। यह संकल्प परम धर्म संसद १००८ के केन्द्रीय कार्यालय श्रीविद्यामठ, वाराणसी में मसन्द सेवाश्रम रायपुर छत्तीसगढ़ के पीठाधीश एवं परम धर्म संसद १००८ के संगठन मंत्री, सिंधी समाज के विख्यात संत साईं जलकुमार मसंद की अध्यक्षता में आयोजित शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज द्वारा देश विदेश में बसे सिंधी समाज के गो प्रतिष्ठा अभियान से जुड़ने सम्बंधी पुस्तिका के किये गये विमोचन के कार्यक्रम में उभर कर सामने आया।
पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज ने बताया कि मसंद सेवाश्रम रायपुर के पीठाधीश, जिन्हें हाल ही में प्रयागराज में संपन्न महाकुंभ के दौरान हमारी संस्था परम धर्म संसद 1008 का संगठन मंत्री नियुक्त किया गया है, ने वर्ष 2012 से 2015 के मध्य देश के सभी शंकराचार्यों, संतों के सभी 13 अखाड़ों के प्रमुख महंतों, उनके द्वारा सुझाए गए लगभग 130 पदाधिकारियों महामंडलेश्वरों, गायत्री परिवार, आर्य समाज आदि अनेक प्रसिद्ध धार्मिक संगठनों के प्रमुखों तथा अनेक अन्य महान संतों के साथ बैठकें कर तिथियां तय की थीं तथा बैठकें की थीं। उन्होंने देश में सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित धर्म का राज स्थापित कर भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की अपनी कार्ययोजना से हम सभी को अवगत कराया था। उनका यह प्रयास देश में सनातन धर्म के राज, जिसे हिंदू राष्ट्र भी कहा जा सकता है की आवश्यकता का वातावरण बनाने में बहुत सहायक हुआ।
कार्यक्रम में वाराणसी की सेन्ट्रल सिंधी पंचायत, अनेक मुहल्ला सिंधी पंचायतों, धार्मिक व सामाजिक संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी व अन्य गणमान्य नागरिकों के साथ साथ शंकराचार्य महाराज से जुड़े विभिन्न संगठनों के भी प्रमुख लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। शंकराचार्य महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अलग अलग मंदिरों में अलग अलग देवी देवताओं के विग्रह प्रतिष्ठित हैं लेकिन किसी भी मंदिर में 33 कोटि देवी देवता प्रतिष्ठित नही हैं। लेकिन हमारे पूर्वजों ने गौमाता में 33 कोटि देवी देवताओं की प्रतिष्ठा की। इसलिए आज भी हमारे घरों में पहली रोटी गाय को समर्पित कर यह माना जाता है कि 33 कोटि देवी देवताओं को भोग लग गया। उन्होंने कहा कि हमें देशी नस्ल के गायों की पहचान कर भावी पीढ़ी हेतु उनकी रक्षा करनी होगी। गौमाता को राष्ट्रमाता रूप में प्रतिष्ठित कराने के बाद उनकी स्थिति में अंतर आएगा।
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